ग्लोबल साउथ में भारत की प्रबल भागीदारी : एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

 सारांश :-

21वीं सदी की वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक प्रगति में ग्लोबल साउथ का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्लोबल साउथ की इस विकास यात्रा में भारत का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह शोध पत्र न केवल ग्लोबल साउथ के समकालीन महत्व को प्रकाशित करता है बल्कि एक राष्ट्र के रूप में भारत की उभरती हुई भूमिका एवं प्रभावशीलता को भी व्याख्यायित करता है। यह शोध पत्र उन महत्वपूर्ण तथ्यों एवं कारकों पर भी ध्यान केंद्रित करता है जिनके प्रभाव के कारण वैश्विक मंच पर भारत की नेतृत्वकारी भूमिका प्रदर्शित होती है। यह अध्ययन भारत की नेतृत्व क्षमता और ग्लोबल साउथ के हितों की दिशा में भारत के प्रभावकारी योगदान को गहराई से समझने का प्रयास करता है।

परिचय :-

ग्लोबल साउथ वह अवधारणा है, जिसमे विश्व की दो अलग- अलग विचारधाराओ को आर्थिक- राजनीतिक रूप से विभाजित किया जाता है। जिसमें मुख्य रूप से उन देशों को शामिल किया गया है, जो आर्थिक रूप से विकासशील या उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के रूप में माने जाते हैं। वैश्विक दृष्टिकोण से संपूर्ण विश्व को दो हिस्सों में बांटा गया है, ग्लोबल नॉर्थ व ग्लोबल साउथ। अमेरिका, जापान, कोरिया और यूरोप जैसे विकसित और समृद्ध देशों को ग्लोबल नॉर्थ, व लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, एशिया तथा ओशिनिया जैसे कम विकसित या विकासशील देशों को ग्लोबल साउथ की परिधि के अंतर्गत रखा गया है। ग्लोबल साउथ की अवधारणा मुख्यतः ग्लोबल नॉर्थ के विपरीत बनाई गई है, जहां तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या, गरीबी, सीमित शैक्षिक अवसर और कमजोर स्वास्थ्य सुविधाएं आम हैं।

ग्लोबल साउथ क्या है? :-

ग्लोबल साउथ शब्द “थर्ड वर्ड देशों” से विकसित हुआ है जो की औपनिवेशिक काल तथा शीत युद्ध के पश्चात कम आय वाले, गरीब, विकासशील देशों के लिए उपयोग किया जाता है। ग्लोबल साउथ शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले 1969 में अमेरिकी राजनीति विज्ञान के विशेषज्ञ कार्ल ओग्लेसबी ने किया था। 1991 के बाद से ही इस शब्द के उपयोग में लगातार वृद्धि होती गई। सामान्यतः ग्लोबल साउथ शब्द का उपयोग विकासशील देशों के समूहों को इंगित करने के लिए किया जाता है जिसमें लगभग कम आए गरीबी, तेजी से बढ़ती आबादी सीमित शैक्षिक अवसर खराब स्वास्थ्य, देखभाल प्रणाली तथा खराब बुनियादी ढांचा हो।

दूसरे शब्दों में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) को प्राप्त करने में पिछड़ने वाले देश भी ग्लोबल साउथ की संकल्पना के अंतर्गत आते हैं। ग्लोबल साउथ के देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्न आय स्तर, बढ़ती जनसंख्या, कमजोर बुनियादी ढांचा और सीमित स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं।

ग्लोबल साउथ मे भारत की भूमिका :-

भारत की ग्लोबल साउथ में महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत की भूमिका इस अवधारणा के भीतर एक उभरते हुए नेतृत्व कर्ता के रूप में देखी जा सकती हैं।

भारत ने ग्लोबल साउथ के साथ अपने सहयोग को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं। भारत ने समय समय पर विभिन्न वैश्विक मंचों पर ग्लोबल साउथ की आवाज को प्रमुखता से उठाया है, जिसका उद्देश्य विकासशील देशों के साथ साझेदारी को मजबूत करना और साझा विकास को प्रोत्साहित करना रहा है। ये पहलें वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका को और सशक्त बनाती हैं। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसकी बड़ी और युवा जनसंख्या अर्थव्यवस्था में इसका अहम रोल निभाती है।

भारत की भूमिका को तीन प्रमुख आयामों में समझा जा सकता है:

1. आर्थिक सहयोग और विकास :- आयुष्मान भारत द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती प्रदान की है। भारत ने इस योजना के तहत स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलीकरण का प्रयास किया। यह योजना कई देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। भारत ने डिजिटल इंडिया पल के माध्यम से डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का प्रयास किया है। भारत ने अपनी डिजिटल भुगतान प्रणाली (UPI) और आधार आधारित पहचान प्रणाली का सफलतापूर्वक संचालन कर ग्लोबल साउथ के देशों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना है तथा उन विकासशील देशों को इसे अपनाने में सहयोग दिया है।

2. कूटनीतिक :- भारत की सांस्कृतिक और कूटनीतिक नीतियां ग्लोबल साउथ में इसकी मजबूत छवि को उजागर करती हैं। भारत ने G-7, G-20, विश्व व्यापार संगठन, और संयुक्त राष्ट्र संगठन जैसे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ग्लोबल साउथ के विकासशील देशों के हितों की वकालत की है। यदि भारत की कूटनीतिक सामंजस्य की बात की जाए तो भारत की रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रतिक्रिया ने यह स्पष्ट तौर पर जाहिर कर दिया कि जब राष्ट्रीय हित और मूल्यों के मध्य टकरावों जैसी स्थिति उत्पन्न होगी तब भारत द्वारा अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी जाएगी।

3. वैश्विक चुनौतियों में नेतृत्व :- वर्तमान समय में सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती पर्यावरणीय संकट है। तेजी से बढ़ते वैश्विक तापमान जैसे संकट के समाधान के रूप मे भारत ने ऊर्जा के नविनीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तरफ ग्लोबल साउथ का ध्यान आकर्षित करने में सफलता प्राप्त की है। इसी के साथ भारत ने जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी, और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर ग्लोबल साउथ का नेतृत्व किया है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) जैसे नवीकरणीय ऊर्जा प्रयासों के माध्यम से भारत ने न केवल पर्यावरणीय चुनौतियों में नेतृत्व दिखाया है, बल्कि विगत वैश्विक कोरोना महामारी के दौरान भारत ने वैक्सीन, आवश्यक दवाईयों एवं चिकित्सा उपकरणों के माध्यम से कई देशों की सहायता की। जिसके कारण भारत को ग्लोबल साउथ में जिम्मेदार और भरोसेमंद नेतृत्वकर्ता के रूप में जाना जाने लगा।

निष्कर्ष :-

भारत की ग्लोबल साउथ में भागीदारी बहुआयामी है। समकालीन भू वैश्विक पटल पर भारत की ग्लोबल साउथ में भागीदारी ने विशिष्ट रूप से ध्यान आकर्षित किया है। इसमें प्रशासनिक, व्यापारिक, कूटनीतिक, आर्थिक, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्र शामिल है। विशेषकर कोविद-19 के समय भारत की वैक्सीन वितरण की कूटनीति ने भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संवारा है। इसी के साथ इन प्रयासों के प्रभावों को गंभीरता से समझने की आवश्यकता है ताकि भारत की ग्लोबल साउथ में भागीदारी और भी अधिक प्रबल बनाई जा सके। भारत की ग्लोबल साउथ में महत्वपूर्ण भूमिका है तथा इसके प्रभावों को और अधिक पढ़ने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।

संदर्भ-ग्रन्थ सूची :-

1. International Solar Alliance. (n.d.). About ISA. Retrieved from https://www.isolaralliance.org

2. Ministry of Health and Family Welfare, Government of India. (n.d.). Ayushman Bharat: Transforming health care in India. Retrieved from https://www.nhp.gov.in

3. Ministry of Electronics and Information Technology, Government of India. (n.d.). Digital India Program. Retrieved from https://www.digitalindia.gov.in

4. Oglesby, C. (1969). The new Left and global South: Reflections on the third world. Journal of Politics, 32(4), 23-40.

5. World Health Organization. (2021). Global vaccine distribution and India’s role. Geneva: WHO.

6. Ministry of External Affairs, Government of India. (2022). India’s leadership in global South during COVID-19. Retrieved from https://www.mea.gov.in

7. International Energy Agency. (2021). India’s renewable energy leadership: International Solar Alliance case study. Paris: IEA.


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