दर्शन : 'क्या' से अधिक 'क्यों'
आज के समय मे शिक्षा का महत्व केवल तथ्यात्मक नही अवधारणात्मक होना चाहिए। यदि हम चीजो को वैज्ञानिक रूप से (Scientifically) समझना चाहे तो सामान्यतः हमने जाना होगा कि हमे "कब" और "कहाँ" नही बल्कि "क्या" "क्यों" और "कैसे" पर ध्यान देना चाहिए, जो काफ़ी हद तक सही भी है परन्तु मेरी राय में हम इन तथ्यों एवं अवधारणाओ के विश्लेषण द्वारा स्वयं के लिए, समाज के लिए, देश अथवा विश्व के लिए कितनी उपयोगिता (Utility) सिद्ध कर पाने में सफल होते हैं।दर्शनशास्त्र में इसे Applied Philosophy कहते हैं।
उदाहरण के लिए इतिहास विषय मे हमे यह समझने की आवश्यकता नही है कि कौनसी घटना किस विशिष्ट स्थान तथा समयकाल में हुई? बल्कि यह समझने की आवश्यकता है कि किसी घटना के पीछे कौनसे कारक जिम्मेदार थे? उस विशिष्ट घटना से अन्य समकालीन परिस्थितियाँ किस प्रकार सम्बंधित हैं? और बाद के परिदृश्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?न केवल इतना ही, बल्कि वर्तमान परिपेक्ष्य में हम घटनाओ का विश्लेषणात्मक अध्ययन करके समाज की क्या उपयोगिता सिद्ध कर सकते हैं? यही Applied Philosophy हैं। जो न केवल समय की माँग हैं बल्कि आधुनिक पीढ़ी (जिसे आजकल "GenZ" कहते हैं) की जरूरत है। क्योंकि आज संकट तथ्य (facts) और डेटा का नही है बल्कि डेटा की अधिकता का है, संकट ज्ञान के आधिक्य का है।
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